हेलो दोस्तों आज हम जानेंगे 110 साल पुराने Titanic जहाज को आखिर क्यों नहीं निकाला जा सका ?? | Why Titanic Hasn’t Recovered In Hindi अपने बहुत सारी डॉक्यूमेंट्री, फिल्में और किताबें Titanic जहाज के डूबने के ऊपर देखी और पढ़ी होगी। क्या आपने कभी यह सोचा है। इसके पीछे का सच क्या है।
Titanic जहाज के डूबने की असली सच्चाई :-

1. आज तक हम यह जानते हैं की Titanic जहाज 10 अप्रैल 1912 को अपने पहले सफर के लिए रवाना होता है और 14 अप्रैल 1912 की रात 11:20 को एक हिमखंड से टकराकर दो टुकड़ों में टूट कर समुद्र की गहराइयों में समा जाता है। क्या वाकई में Titanic जहाज हिमखंड के टकराने की वजह से समुद्र में डूबा था या इसके पीछे कोई दूसरा कारण है।
Titanic जहाज के ऊपर 1997 में आई OSCAR फिल्म ‘Titanic” में भी यही दर्शाया गया है की Titanic जहाज हिमखंड के टकराने की वजह से समुद्र में डूबा था मगर हाल में ही आए 2017 के डॉक्यूमेंट्री “Titanic: The New Evidence” में टाइटैनिक विशेषज्ञ “Senan Molony” ने यह खुलासा किया है कि Titanic जहाज किसी हिमखंड के टकराने की वजह से नहीं डूबा बल्कि Titanic जहाज के डेक में विस्फोट हुआ था और पूरे जहाज पर आग लग गई थी जिसके कारण Titanic जहाज दो हिस्सों में टूट कर समुद्र की गहराइयों में डूब गया था।

2. टाइटैनिक विशेषज्ञ “Senan Molony” ने Titanic जहाज के ऊपर काफी सालों तक शोध किया और यह पता लगाने की कोशिश करते रहे कि Titanic जहाज पर आखिर विस्फोट कैसे हुआ और जहाज पर आग कैसे लगी। काफी कठिन परिश्रम के बाद विस्फोट का कारण और आग लगने की गुत्थी दोनों सुलझ पाई। उस वक्त के जहाज कोयले से चलते थे और Titanic जहाज भी कोयले से चलता था। अधिक मात्रा में कोयले जलने से Titanic जहाज के ढांचे 1,000 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो गए थे। 10 अप्रैल से लेकर 14 अप्रैल तक लगातार कोयले जलने से Titanic जहाज का ढांचा बहुत ही ज्यादा पतला हो गया था।

जिसके बाद समुद्र का दबाव ढांचा सहन नहीं कर पाए और वह एक विस्फोट के बाद टूट गए और समुंद्र की गहराई में डूब गया। Titanic जहाज हादसे में बचे हुए लोगों से जब इस घटना के बारे में पूछा गया तो वे बताते हैं कि “हम रात को सो रहे थे कि अचानक एक जोरदार धमाका हुआ हम लोग घबराकर जल्दी से उठे और कमरे से बाहर जाकर देखें तो नजारा कुछ अलग था चारों ओर अफरा-तफरी बची हुई थी और चारों तरफ भीषण आग लगी हुई थी इस हादसे में हम बच गए इसके लिए हम ईश्वर का धन्यवाद करते हैं।”
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1. Titanic जहाज के डूबने के 73 साल बाद खोजकर्ताओ की टीम Titanic जहाज को आखिर में खोज पाई।

1 सितंबर 1985 को “Dr. Robert Ballard” ने यह कारनामा करके दिखाया। Titanic जहाज समुद्री तल से 13,000 फीट की गहराई में था। Titanic जहाज में मौजूद 1912 की कीमती वस्तुएं जैसे कि सोने चांदी के हीरे जेवरात,पुरानी शराब की बोतलें और बेशकीमती वस्तुएं सभी को जहाज से निकाल लिया गया। अब बात आती है Titanic जहाज को 13,000 फीट की गहराई से निकालने की तो Titanic जहाज की दशा 73 साल समुद्र के अंदर रहने की वजह से बहुत खराब हो गई थी। जहाज को जीवाणु ने पूरा खोखला कर दिया था।
ऐसे में किसी लोहे की चैन के माध्यम से इसे ऊपरी सतह पर खींचने से Titanic जहाज पानी के दबाव के कारण पूरी तरह से टूट कर बिखर जाएगा इसलिए यह रास्ता सही नहीं था। इसके बाद एक से बढ़कर एक समुद्री वैज्ञानिकों ने अपना दिमाग दौड़ाया और Titanic जहाज को 13,000 फीट की गहराई से बिना किसी क्षति के कैसे निकाले इसके बारे में विचार विमर्श करने लगे।

2. सबसे पहला तरीका वैज्ञानिकों के दिमाग में पनडुब्बी और चुंबक की मदद से Titanic जहाज को ऊपरी सतह तक खींचने का आया मगर यह जितना सुनने में आसान था। उससे कहीं ज्यादा इसे उपयोग में लाना मुश्किल था क्योंकि Titanic जहाज का कुल वजन 1.43 लाख टन था और 13,000 फीट की गहराई में भी था।
जिसकी वजह से इसका कुल वजन 2 गुना बढ़ चुका था। इतनी गहराई में सिर्फ 1sq सेंटीमीटर को निकालने में ही 392 न्यूटन का बल चाहिए था। उस वक्त के दौर में इतने शक्तिशाली ना तो पनडु्बी हुआ करते थे और ना ही इतनी शक्तिशाली चुंबके हुआ करती थी इसलिए उस वक्त के दौर में इस मिशन को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया।
3. मगर वैज्ञानिक कहां हार मानने वाले थे। कुछ वैज्ञानिकों का मानना था कि Titanic जहाज के अंदर ping-pong गेंद पूरी तरह से भर दिया जाए। जिसके बाद Titanic जहाज समुद्री तल पर अपने आप ping-pong गेंद की मदद से ऊपर आ जाएगा मगर यह मिशन फेल हो गया क्योंकि 13,000 फीट की गहराई में ping-pong गेंद पानी के दबाव के कारण फट जा रही थी।
इसके बाद फिर एक समय के लिए हिलियम बलून के इस्तेमाल के बारे में सोचा गया मगर पानी के इतनी गहराई में उसे पंप करना लगभग नामुमकिन था और यह मिशन बंद करना पड़ा। इसके बाद एक समुद्री वैज्ञानिक “Arthur hickey” ने यह भी सुझाव दिया कि क्यों ना Titanic जहाज को एक बर्फ के ढांचे में तब्दील कर दें क्योंकि बर्फ का घनत्व पानी के घनत्व के मुकाबले हल्का होता है। इसी वजह से बर्फ पानी की सतह पर तैरता है।
यह सुझाव सुनकर एक समय के लिए काफी अच्छा लगा मगर जैसे ही इसके ऊपर किए गए खर्च के बारे में सोचा गया तब सभी के होश उड़ गए क्योंकि पानी को एक बर्फ में बदलने के लिए बहुत सारी तरल नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है करीब 5 लाख टन तरल नाइट्रोजन की आवश्यकता Titanic जहाज को एक बर्फ के रूप में बदलने के लिए चाहिए था और कोई भी कंपनी इस सुझाव के लिए तैयार नहीं था और आखिर में इसे भी बंद कर दिया गया।

इसके बाद और भी बहुत सारे नए-नए सुझाव वैज्ञानिकों के द्वारा दिया गया मगर आखिर में यह एक प्रश्न सभी प्राइवेट कंपनियों के सामने और सभी लोगों के सामने खड़ी हो जाती है कि आखिर में क्यों Titanic जहाज को समुद्र की गहराइयों से निकाला जाए क्योंकि Titanic जहाज पर जितने भी बेशकीमती और सोने चांदी के आभूषण थे उन्हें तो पहले ही निकाल लिया गया है। अब सिर्फ Titanic जहाज का मलवा ही समुद्र की गहराई में पड़ा हुआ है।
वह भी बहुत ही बुरी स्थिति में है अगर कोई प्राइवेट कंपनी Titanic जहाज को निकालने के बाद किसी म्यूजियम में रखती है तो Titanic जहाज के निकालने पर किए गए खर्च को वापस हासिल करने में 100 सालों से भी ज्यादा का समय लग जाएगा। इसी वजह से कोई भी प्राइवेट कंपनी इतना बड़ा जोखिम लेना नहीं चाहती है इसलिए आज भी Titanic जहाज पानी की गहराइयों में पड़ा हुआ है शायद भविष्य में भी इसी तरह से पानी में ही रहेगा जब तक कि जीवाणु इसे पूरी तरह से खत्म ना कर दे।
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