एक समय था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था मगर कुछ लोग आज भी भारत को सोने की चिड़िया कहते हैं।
क्यों कहते हैं ??
आज का हमारा पुष्पा मूवी में दिखाए गए रक्तचंदन लकड़ी की असली सच्चाई | Pushpa movie Unknown interesting facts In Hindi पोस्ट पढ़कर आपको समझ आ जाएगा।
वैसे तो अंग्रेजों और बाहरी लुटेरों द्वारा कई कीमती वस्तुएं और हजारों टन सोने भारत से लूट कर अपने देश ले जा चुके हैं। मगर आज जो मैं आपको बताने वाला हूं। वह किसी खजाने से कम नहीं है। आज भी यह खजाना शेषाचलम की पहाड़ियों पर उगते हैं जी हां हम बात कर रहे हैं। लाल चंदन के पेड़ की जिसे अंग्रेजी में (Red sanders) कहते हैं और इसका साइंटिफिक नाम (Pteracourps santalinus) है। और स्थानीय लोग इसे “रक्तचंदन” भी कहते हैं।
हाल ही में आए टॉलीवुड की मूवी “पुष्पा” में लाल चंदन की लकड़ी का जिक्र किया गया है और पूरी मूवी इसी लाल चंदन की लकड़ी के अंतर्गत घूमती नजर आई है। मूवी में लाल चंदन की लकड़ी की कीमत बहुत ज्यादा दिखाई गई है।
पुष्पा मूवी में दिखाए गए रक्तचंदन लकड़ी की असली सच्चाई क्या है ?? क्या सही में लाल चंदन की लकड़ी की कीमत बहुत ज्यादा है??

लाल चंदन की लकड़ी की कीमत जानने से पहले हमें यह जानना पड़ेगा कि यह इतना महंगा क्यों है?? लाल चंदन की लकड़ी की खासियत यह है कि यह पूरे दुनिया में कहीं नहीं पाया जाता है। यह सिर्फ भारत में पाया जाता है। इसी वजह से इस लकड़ी की डिमांड और इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में करोड़ों की है। हम आपको बता दें :-
1 किलो लाल चंदन की लकड़ी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 28000 रुपए के आसपास है। लाल चंदन के पेड़ की औसत ऊंचाई 8 मीटर से लेकर 11 मीटर तक होती है। एक लाल चंदन के पेड़ का कुल वजन करीब 28 से 30 किलो तक की होती है क्योंकि एकमात्र लाल चंदन का पेड़ ही ऐसा पेड़ है जिसकी घनत्व सभी पेड़ों के मुकाबले अत्याधिक है। इसी कारण लाल चंदन की लकड़ी को जब पानी में डूबआते हैं तब यह पूरी तरह से डूब जाती है।
1kg लाल चंदन की लकड़ी की कीमत = 28000 रुपए है
30kg लाल चंदन की लकड़ी की कीमत = 840000 रुपए है
100kg लाल चंदन की लकड़ी की कीमत = 2.8 करोड़ है
आखिर लाल चंदन का पेड़ कहां पाया जाता है ??

यह पूरी दुनिया में सिर्फ भारत में पाया जाता है। भारत में भी बस शेषाचलम की पहाड़ियों पर ही इसके पेड़ उगते हैं। शेषाचलम की पहाड़िया तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के बॉर्डर की सीमाओं से लगी हुई है। इन बॉर्डर की सीमा पर 4 जिले हैं। कुरनूल,नेल्लोर,कडप्पा,चित्तूर इन जिलों में ही लाल चंदन के पेड़ भारी मात्रा में पाई जाते है। आप में से बहुत से लोगों के दिमाग में यह जरूर आया होगा क्यों ना जाकर शेषाचलम की पहाड़ियों से लाल चंदन के पेड़ को काटा जाए और उसे मार्केट में बेचा जाए!! और लाखों रुपए कमाए जाए।
लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दूं। यह काम इतना भी सरल नहीं है। शेषाचलम के जंगल में बहुत से जहरीले सांप लाल चंदन के पेड़ से लिपटे रहते हैं। उनके काटने के तुरंत बाद आप की मृत्यु लगभग तय होगी।

अगर आपकी किस्मत अच्छी हो और सांप आपको ना कांटे फिर भी शेषाचलम की पहाड़ियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। अवैध व्यापारियों और तस्करों से बचने के लिए सरकार ने इसकी सुरक्षा की जिम्मेवारी स्पेशल टास्क फोर्स डिपार्टमेंट को दी है। अगर आप किसी तरह लाल चंदन की लकड़ी के साथ पकड़े जाते हैं तो आपको तुरंत मार दिया जाएगा या 11 साल की सजा आपको सुना दी जाएगी। उदाहरण के तौर पर जब 2004 के दौरान जब तस्करों की फौज शेषाचलम की पहाड़ियों में जाकर अवैध रूप से लाल चंदन के पेड़ को काट रहे थे।
पुष्पा मूवी में दिखाए गए रक्तचंदन लकड़ी की असली सच्चाई | Pushpa movie Unknown interesting facts In Hindi

स्पेशल टास्क फोर्स डिपार्टमेंट को जैसी ही इसकी सूचना मिली मौके पर पहुंच कर उन्होंने सभी तस्करों को मौत के घाट उतार दिया। जिनमें कुख्यात अपराधी वीरप्पन (100cr का इनामी डाकू) भी शामिल था। बहुत से लोगों का यह मानना है की “पुष्पा” मूवी वीरप्पन के जीवन से प्रेरित होकर बनाई गई है। इसके बाद साल 2015 को एनकाउंटर में 20 तस्करों को भी स्पेशल टास्क फोर्स डिपार्टमेंट के लोगों ने मौत के घाट उतार दिया। मगर आज भी लोग जान की बाजी लगाकर शेषाचलम की पहाड़ियों से लाल चंदन की लकड़ियों की तस्करी करते हैं।
लाल चंदन की लकड़ी भारत से निकालकर किस-किस देश ले जाया जाता है??

लाल चंदन की लकड़ी की तस्करी समुद्र के रास्ते,हवा के रास्ते और जमीन के रास्ते तीनों रास्तों से यह किया जाता है। यह बड़े-बड़े देशों जैसे :- चीन,जापान ऑस्ट्रेलिया,सिंगापुर और यूएई जैसे देशों में यह भारी मात्रा में किया जाता है। पुलिस से बचने के लिए कभी-कभी लाल चंदन की लकड़ी को पीसकर पाउडर के फॉर्म में इसका सप्लाई किया जाता है। लाल चंदन की लकड़ी को सभी लोग पवित्र मानते हैं। खासकर चीन में या चलन हजारों साल से चली आ रही है शायद इसी वजह से चीन ने भारत पर कई बार आक्रमण किया और शेषाचलम की पहाड़ियों को हथियाने की कोशिश की मगर हर बार वह नाकाम हो गया। 70% तस्करी सिर्फ चीन में होती है।
लाल चंदन के पेड़ का अपना है इतिहास
हजारों साल पहले भारत के राजा महाराजाओं ने अपने शासनकाल में लाल चंदन की लकड़ी से बनी अनेक वस्तुएं अपने सजावट के लिए रखी थी जिनमें से कुर्सियां,दरवाजे,पलंग इत्यादि थे। हिंदू धर्म में लाल चंदन की लकड़ी को आज भी पूजा जाता है। उस दौर में जब चीन के राजा भारत आए थे तो भारत के राजाओं ने उन्हें उपहार में लाल चंदन से बनी कई वस्तुएं दी थी। तब से चीन में भी लाल चंदन की लकड़ी को पूजा जाने लगा और आज तक यह चलन वहां पर भी जारी है। आज भी वहां के राजघरानों में आपको लाल चंदन से बनी वस्तुएं मिल जाएगी।
लाल चंदन की लकड़ी के पीछे क्यों पड़ा हुआ है चीन ??

आपने आयुर्वेदिक उपचार का नाम तो सुना ही होगा। आयुर्वेदिक में सभी चीजें जड़ी बूटी से बनी होती है। उसमें उपचार भी जड़ी बूटी से ही की जाती है और चीन में अधिकतर इलाज आयुर्वेदिक से ही किया जाता है और लाल चंदन की लकड़ी के अंदर ग्लाइकोसाइड,फेनोलिक एसिड जैसे कई गुणकारी चीज मौजूद है। जिससे किसी भी मरीज को स्किन से संबंधित कोई भी बीमारी को यह आसानी से ठीक कर सकता है लाल चंदन की लकड़ी को संजीवनी जैसे जड़ी बूटी का भी नाम दिया गया है।
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