हेलो दोस्तों आज मैं आपके साथ शेयर करूंगा एक आश्चर्य करने वाली घटना !!!!
एक इंसान जो मौत को भी मात देकर 24 दिनों तक बिना खाए पिए जिंदा रहा | Mitsutaka Uchikoshi Story In Hindi
जैसा की आप सबको पता ही होगा। दिन पर दिन हमारी दुनिया तेज गति से विकसित हो रही है जैसे-जैसे विकसित हो रही है। वैसे ही कई सारे सवाल हमारे सामने आकर खड़ी हो जाती है। एक ऐसा ही सवाल जापान से है। जापान में रहने वाले एक व्यक्ति के साथ इस तरह की घटना घटी की जिसका हल ना तो वैज्ञानिक के पास है और ना ही साइंस कर रहे शोधकर्ताओं के पास जिसको भी इस घटना के बारे में पता चला उन लोगों के दिमाग में बस एक ही सवाल कैसे ???
यह कहानी है जापान में रह रहे एक व्यक्ति जिनका नाम मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) है। वह 7 अक्टूबर 2006 को अपने कुछ साथियों के साथ एक ट्रिप का प्लान करते हैं। यह ट्रिप माउंट रोक्को (mount rokko) का था। हमेशा से ही उनकी इच्छा थी कि वह माउंट रोक्को (mount rokko) जाए और वहां मिल रहे खूबसूरत नजारे का आनंद उठाएं मगर कभी-कभी किसी भी चीज कि ज्यादा इच्छा इंसान को किस हद तक ले जाती है। यह हमें मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) की असल जिंदगी की घटना से सीखने को मिलता है।

मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) अपने कुछ साथियों के साथ जब माउंट रोक्को (mount rokko) पहुंचे। वे वहां के खूबसूरत नजारे को देख बहुत खुश हुए। करीब 4 घंटे माउंट रोक्को पर बिताने के बाद सभी ने मिलकर यह निर्णय लिया कि अब यहां से वापस घर चलना चाहिए। माउंट रोक्को (mount rokko) एक ऊंची पर्वत है और चारों और सिर्फ पेड़ ही पेड़ वहां से नीचे जाने के लिए केबल कार का इस्तेमाल किया जाता है।
सभी दोस्त केबल कार में चढ़ गए मगर 35 वर्षीय मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) को अभी भी माउंट रोक्को (mount rokko) के खूबसूरत नजारे को और देखना था। इसलिए उन्होंने केवल कार के बजाए पैदल नीचे जाने का निर्णय लिया सभी दोस्तों को अलविदा कहने के बाद मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) पैदल नीचे की ओर आगे बढ़े।
कुछ घंटे पैदल चलने के बाद अब शाम हो चुकी थी और अभी भी वह माउंट रोक्को (mount rokko) के जंगलों में ही थे। अब उन्हें यह मालूम हो चुका था की वह नीचे जाने वाले रास्ते से भटक चुके है। कुछ दूर और चलने के बाद भी जब उन्हें बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला तब मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) पूरी तरह से परेशान हो चुके थे। मगर उन्होंने अपना आपा नहीं खोया और दिमाग शांत किया और रात के अंधेरे में नदी खोजना शुरू कर दिए क्योंकि उन्होंने बहुत सारी फिल्मों में और बचपन में यह चीज पढ़ी थी की हर नदी आपको किसी ना किसी बस्ती या शहर तक पहुंचाती है।
अब उन्हें भूख और प्यास जोरो की लगने लगी थी। जब उन्होंने माउंट रोक्को (mount rokko) से नीचे जाने का फैसला किया था तो वह अपने साथ बस एक बोतल पानी और एक barbecue sauce का पैकेट ही साथ लेकर पैदल चले थे क्योंकि उन्हें यह नहीं पता था कि वह नीचे जाने के रास्ता से भटक जाएंगे।
पानी पीने के बाद जब वह आगे की ओर बढ़े उन्हें एक बहती हुई नदी मिली यह देख उनके चेहरे पर एक लंबी सी मुस्कुराहट आ गई और वह नदी की और तेज गति से बड़े तभी अचानक से उनका पैर पत्थर से जा टकराया जिसकी वजह से उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई। मगर कहते हैं ना जिनके हौसले मजबूत होते हैं वह कहां रुकते हैं। टूटी हुई हड्डी के साथ मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) फिर से खड़े हुए और नदी के साथ आगे बढ़ते गए उन्होंने सर्द रात में भी अपनी जर्नी को नहीं रोका। अब रात से सुबह हो चुका था।
उनके पास अब खाने के लिए कुछ नहीं था और वह अब बहुत ज्यादा थक चुके थे और सुबह कि वह धूप मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) को आगे बढ़ने से रोक रही थी तेज धूप,पैरों में चोट और खाली पेट के कारण अचानक मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) को चक्कर आने लगी और फिर एक खुले मैदान तक पहुंचकर वह वहीं गिर पड़े और फिर सो गए।
एक इंसान जो मौत को भी मात देकर 24 दिनों तक बिना खाए पिए जिंदा रहा | Mitsutaka Uchikoshi Story In Hindi

एक लंबी नींद,लंबी नींद आमतौर पर 10 या 12 घंटे के लिए लोग सोते हैं। ज्यादा से ज्यादा 24 घंटे के लिए लेकिन उनके लिए लंबी नींद पूरी 24 दिनों के लिए था। जी हां आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा 8 अक्टूबर की उस दोपहर के बाद जब मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) कि आंख खुली तो वह हॉस्पिटल में थे और दिन था। 1 नवंबर 2006 दरअसल 31 अक्टूबर के दिन hiker की नजर उन पर पड़ी उनकी बॉडी एकदम मृत मालूम पड़ रही थी। लेकिन उनकी धड़कन अभी भी चल रही थी।
उनके शरीर का तापमान 22 डिग्री सेल्सियस तक गिर चुका था और उनके अंदरूनी अंगों ने काम करना लगभग बंद कर चुके थे। लेकिन इसके बावजूद मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) जीवित रहे और यह देखकर अस्पताल के सभी डॉक्टर्स हैरान थे। पिछले 24 दिनों से घायल अवस्था में बिना कुछ खाए पिए बरसात तेज धूप और सर्द रातों के बीच वह निद्रा की अवस्था में थे इसके बावजूद उनकी सांसे चल रही थी और उनका दिल धड़क रहा था।
इस घटना को समझाते वक्त डॉक्टरों ने बताया कि मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) के चेतना में होने के बावजूद भी उनके जीने की ऊर्जा जागृत थी और उनके शरीर को मरने से बचा रही थी और उनकी बॉडी hibernation में चली गई थी।
hibernation एक ऐसी स्थिति है। जिसमें शरीर का गति बहुत स्लो हो जाता है और शरीर को जीवित रखने के लिए बेहद कम ऊर्जा की जरूरत पढ़ती है। ऐसा अक्सर पोलर बियर करते हैं जवान के अनुकूल मौसम नहीं रहता तो वह hibernation स्थिति में चले जाते हैं और फिर 1 लंबी नींद के बाद जागते हैं।
लेकिन इंसानों में ऐसा पहली मर्तबा देखा गया था। मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi की बॉडी का हाइबरनेशन में चले जाना बाकी एक अनूठी बात थी। किसी हाइबरनेशन की स्थिति में होने की वजह से मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) बिना खाए पिए 24 दिनों तक जीवित रह पाए।
लगभग 2 महीने हॉस्पिटल में डॉक्टर की देखरेख में रहने के बाद मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) फिर से एक आम जिंदगी जीने लगे लेकिन इस केस को स्टडी करने वाले डॉक्टर आज भी कंफ्यूज है कि आखिर ऐसा कैसे हुआ और मेडिकल साइंस की एक बड़ी टीम आज भी उस तरीके की खोज कर रही है। जिसकी मदद से इंसानी शरीर को hibernation की स्थिति में डाला जा सके। यदि ऐसा कभी मुमकिन हो सका तो यह आधुनिक मेडिकल साइंस के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं होगी अगर काश यह हो पाया तो लोगों को स्पेस में भेजना और भी सरल हो जाएगा।

आपने बहुत सारी फिल्मों में देखा होगा स्पेस में यात्रा करने वाले लोगों को एक विशेष कैप्सूल मैं लंबे समय के लिए सुला दिया जाता है और सही समय पर उठा दिया जाता है। लेकिन यदि हम सच में hibernation जाना सीख जाए तो मूवीस की यह परिकल्पना भी सच हो जाएगी और स्पेस ट्रैवल पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट को सालों का खाना ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और किसी मेडिकल इमरजेंसी के बावजूद हम मरीज की बॉडी को hibernation करके इतना समय अर्जित कर लेंगे जिसमें उस मरीज का इलाज हो सके metabolism को धीमा करके इंसानों को ज्यादा अभी तक जीवित रखा जा सकेगा।
मान लीजिए किसी अस्पताल में किसी मरीज की किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है मगर फिलहाल कोई डोनर हमें कहीं नहीं मिल रहा। उस केस में हम मरीज की बॉडी को hibernation कर देंगे और जब हमें डोनर मिल जाएगा। तब हम उस मरीज का इलाज करा सकेंगे। यदि हमारे साइंस किसी दिन ऐसा करने में सक्षम रहा तो निसंदेह बहुत बड़ी कामयाबी और इसकी मदद से करोड़ों जिंदगी बचाई जा सकेगी।
फिलहाल इंसानी hibernation दूर की कल्पना लगती हो लेकिन मित्सुताका उचिकोशी(Mitsutaka Uchikoshi) के साथ घटित घटना ने फिर यह साबित कर दिया कि हम अभी इंसानी शरीर की सभी क्षमताओं को अच्छे से नहीं जान सके हैं और आज भी हमारे अंदर ऐसे बहुत सारे सवाल है। जिनका हमारे पास अभी कोई जवाब नहीं।
अगर आपको एक इंसान जो मौत को भी मात देकर 24 दिनों तक बिना खाए पिए जिंदा रहा | Mitsutaka Uchikoshi Story In Hindi लेख पसंद आया है, तो कृपया हमें Twitter, Facebook और Instagram पर फॉलो करे | अध्ययन करने के लिए धन्यवाद |
