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हेलो दोस्तों आज हम आपको कल्पना चावला की जिंदगी के बारे में कुछ ऐसी बातें बताएंगे जिसे सुनकर आप जरूर हैरान हो जाएंगे। कल्पना चावला के बचपन से लेकर उनकी आखिरी अंतरिक्ष मिशन तक का सफर कैसा था और उन्होंने कौन-कौन से परेशानियों का सामना किया। आज के हम कल्पना चावला की जिंदगी से जुड़ी हैरतअंगेज बातें !! | Kalpana Chawla Biography In Hindi पोस्ट में पड़ेंगे।
- कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हिंदुस्तान के करनाल शहर में हुआ था। यह शहर हरियाणा राज्य में स्थित है। कल्पना चावला कि शुरुआती पढ़ाई “टैगोर बाल निकेतन” में हुआ। कक्षा आठवीं के बाद कल्पना चावला के मन में “एरोनाटिक इंजीनियर” बनने की इच्छा उमड़ आई। “एरोनाटिक इंजीनियर” कि शिक्षा एक ऐसी शिक्षा होती है जिसे हासिल करके आप आकाश में विमान कैसे उड़ाते हैं इसके बारे में आपको पूरी जानकारी मिल जाती है।
- कल्पना चावला के बचपन को देखकर आप यह जरूर कह सकते है कि कल्पना चावला को बचपन से ही आकाश में उड़ने का बहुत ही ज्यादा शौक था। यह शौक उनके अंदर “रतनजी दादाभाई टाटा” को देख कर आया था। “रतनजी दादाभाई टाटा” उस वक्त के जाने-माने विमान उद्योग और अन्य उद्योगो के मालिक हुआ करते थे और कल्पना चावला इन्हें देखकर इन्हें अपना प्रेरणास्रोत मानती थी। यही कारण था कि कल्पना चावला की जिंदगी में कितनी भी असफलता रही हो मगर वह कभी रुकी नहीं और कभी निराश नहीं हुई हमेशा वह सही सोच से सही दिशा में बढ़ती रही जब तक कि वह अपनी मंजिल को हासिल नहीं कर ली।

- कल्पना चावला के पिता “श्री बनारसी लाल चावला” की इच्छा कुछ और थी। वे कल्पना चावला को एक स्कूली अध्यापिका बनाना चाहते थे मगर कल्पना चावला की दृढ़ निश्चय और लगातार मेहनत की वजह से कल्पना चावला की मां “संजयोती देवी” को यह पता चल गया था कि उनकी बेटी के अंदर एक संकल्प है आकाश में उड़ने की इच्छा है। यह देख कर मां “संजयोती देवी” ने भी कल्पना चावला का साथ दिया बाद में काफी समझाने के बाद पिता भी इस बात के लिए राजी हो गए।
- स्कूली पढ़ाई खत्म करने के बाद कल्पना चावला आगे की पढ़ाई के लिए “पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज” चंडीगढ़ चली गई। वह वहां “एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग” की शिक्षा प्राप्त की जब 1982 में “वैमानिक अभियांत्रिकी स्नातक” की उपाधि प्राप्त की तब वह बहुत ज्यादा खुश हुई। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए कल्पना चावला अमेरिका चली गई। 1982 से लेकर 1984 तक उनकी टेक्सास यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीजी कोर्स की पढ़ाई हुई।

- जब कल्पना चावला 1982 में अमेरिका के टेक्सास यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थी तभी पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात विमान प्रशिक्षक “जीन पिएर्र हैरिसन” से हुई थी। करीब 1 साल तक एक दूसरे को अच्छे से जानने के बाद 1983 में “कल्पना चावला” ने “जीन पिएर्र हैरिसन” से शादी कर ली। इसके बाद भी वह अपने सपने को नहीं छोड़ी लगातार मेहनत करने के बाद 1984 में पीजी कोर्स की पढ़ाई समाप्त की।
कल्पना चावला की जिंदगी से जुड़ी हैरतअंगेज बातें !! | Kalpana Chawla Biography In Hindi
- इसके बाद कल्पना चावला ने 1986 को एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एक और पीजी कोर्स किया करीब 2 साल के बाद कोलोराडो विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग सब्जेक्ट में पीएचडी हासिल कर के 1988 में नासा अमेस रिसर्च सेंटर (NASA Ames Research Centre) के पद पर स्थापित हो गई। इस पद को हासिल करने के बाद कल्पना चावला के सपने लगभग आधे पूरे हो चुके थे।

- सन 1988 नासा अमेस रिसर्च सेंटर (NASA Ames Research Centre) में कल्पना चावला को वर्टिकल / शॉर्ट टेकऑफ और लैंडिंग जैसे कई सारी चीजों में परीक्षण दिया जा रहा था। इसके बाद कल्पना चावला लैंडिंग कॉन्सेप्ट के आधार पर कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनामिक्स(CFD) का अध्ययन किया। उसके बाद कल्पना चावला को विमानचालक के लाइसेंस दे दिए गए। अब कल्पना चावला संपूर्ण रूप से एक विमान चालक हो चुकी थी उनके पास हर तरह के प्रशिक्षण थे साथी साथ वह एक नासा के अधिकारी भी हो चुकी थी। कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनामिक्स(CFD) में शिक्षक भी हो चुकी थी।
- अप्रैल 1991 में कल्पना चावला को U.S का सिटीजनशिप मिल गया। U.S के सिटीजनशिप मिलने के तुरंत बाद ही कल्पना चावला ने “नासा अंतरिक्ष यात्री कोर” के लिए फॉर्म भर दिया। फॉर्म भरने के 4 साल बाद मार्च 1995 को आधिकारिक रूप से कल्पना चावला “नासा अंतरिक्ष यात्री कोर” की सदस्य हो गई थी मगर अभी तक उन्हें किसी भी मिशन के लिए चयन नहीं किया जा रहा था। देखते-देखते 2 साल बीत गए आखिरकार 1997 को कल्पना चावला को अंतरिक्ष यात्रा मिशन के लिए चयन कर लिया गया। इस मिशन में इनका काम “मिशन स्पेशलिस्ट और प्राइमरी रोबोटिक आर्म ऑपरेटर” का था।

- 19 नवंबर 1997 को आखिर वह दिन आ गया जिसकी कल्पना खुद कल्पना चावला बचपन से करती आई है। कल्पना चावला अपने 6 क्रू मेंबर के साथ “STS-87” विमान में बैठकर “अंतरिक्ष शटल कोलंबिया” मिशन के लिए रवाना होती है। इस मिशन का लक्ष्य था यूनाइटेड स्टेट्स माइक्रोग्रैविटी पेलोड (USMP-4) का उपयोग करके “Spartan Satellite” अंतरिक्ष में छोड़ने का था। “STS-87” विमान उड़ने के तुरंत बाद कुछ ही मिनटों में कल्पना चावला पृथ्वी के बाहर पहुंच गई और उन्हें जो काम सौंपा गया था। वह काम उन्होंने बखूबी निभाया।
- कल्पना चावला ने “अंतरिक्ष शटल कोलंबिया” मिशन के दौरान कुल 15 दिन,16 घंटे,35 मिनट,0.1 सेकंड अंतरिक्ष में बिताए। इस दौरान उन्होंने बहुत सारी चीजें सीखी देखी जो कि उनकी कल्पना से भी परे थी। 5 दिसंबर 1997 को “अंतरिक्ष शटल कोलंबिया” मिशन खत्म हुआ। कल्पना और उनके 6 क्रू मेंबर सही सलामत 12:20 को पृथ्वी की धरती पर लैंड किए। यह मिशन एक सक्सेसफुल मिशन था। इस मिशन से नासा को बहुत सारी उपलब्धियां मिली। अंतरिक्ष से लौटने के बाद कल्पना चावला ने अपना अनुभव सबके साथ साझा किया और इसके साथ थी कल्पना चावला हिंदुस्तान की पहली महिला अंतरिक्ष वैज्ञानिक और यात्री बनी।

- इसके बाद साल 2001 में कल्पना चावला को दूसरी बार अंतरिक्ष मिशन में शामिल किया गया मगर कुछ खराबी के कारण यह मिशन को लगातार टाल दिया जा रहा था। कभी सही समय नहीं मिल रहा था इस मिशन के लिए तो कभी विमान में कुछ तकनीकी खराबी आ जा रही थी। जुलाई 2002 को विमान के शटल इंजन में एक दरार देखने को मिला। जिसके बाद इस मिशन को तब तक के लिए टाल दिया गया जब तक की पूरी तरह से विमान की जांच पड़ताल अच्छे से ना हो जाए और यह मिशन के लिए तैयार ना हो जाए।
- 16 जनवरी 2003 को कल्पना चावला दूसरी बार अंतरिक्ष में जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी मगर इस बार यह मिशन उनकी आखिरी मिशन होगी इस बात से वह अनजान थी। “STS-107” विमान में बैठकर वह अपनी दूसरी मिशन के लिए रवाना हो गई। इस मिशन का नाम “SPACEHAB Double Research Module” था। इस मिशन में कल्पना चावला और उनके क्रू मेंबर को अंतरिक्ष में कुल 80 प्रयोग करना था। इस प्रयोग से पृथ्वी को हम और भी अच्छी तरह से जान सकते थे। सारे प्रयोग सफल हुए करीब 15 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद कल्पना चावला और उनकी पूरी टीम वापस पृथ्वी पर आने के लिए तैयार थी। 1 फरवरी 2003 को जब वे अंतरिक्ष से पृथ्वी की वातावरण में घुस रहे थे तभी विमान के शटल इंजन में आग लग गई। जिसके कारण पूरा विमान हवा में ही जलकर राख हो गया। यह दुर्घटना में कल्पना चावला समेत 7 लोगों ने अपनी जान गवाही।

- कल्पना चावला की मृत्यु नासा द्वारा की गई लापरवाही का एक नतीजा है। जब जुलाई 2002 को शटल इंजन में दरार मिली थी तभी इस मिशन को बंद कर देना चाहिए था या यह खराब विमान उपयोग नहीं करना चाहिए था। आज तक नासा ने इस गलती को नहीं माना जब भी उनसे पूछा जाता वह यही कहते हैं यह एक तरह का दुर्घटना था।
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