भारत में अनेक राजाओं ने शासन किया है अपने-अपने सदी में उनके पास बेशुमार दौलत थी। अनेक प्रकार के सोने से बनी वस्तुएं थी। जब अंग्रेजों ने भारत पर अपना शासन शुरू किया तब से सोने की चिड़िया कहलाने वाला यह भारत अंदर से धीरे-धीरे खोखला होता चला गया। बात करें कोहिनूर हीरे की या सोने चांदीयो से बनी आभूषणों की अंग्रेजों ने हर तरह से भारत को लूटा है। वे कई सारे कीमती वस्तुएं भारत से अपने देश ले जा चुके हैं मगर आज मैं आपको वैसे प्राचीन खजाने के बारे में बताऊंगा भारत के 3 प्राचीन खजाने जिन की खबर अंग्रेजों को भी नहीं थी। Top 3 Lost Treasures of India In Hindi
केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर:-

अगर भारत की सबसे धनी और प्राचीन मंदिरों का नाम ले और पद्मनाभस्वामी मंदिर प्रथम स्थान पर ना आए?? ऐसा भला हो सकता क्या??
पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम मैं स्थित है और यह भगवान विष्णु का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को छठवीं शताब्दी में बनाया गया था। सन 1733 ई में महाराजा मार्तंड वर्मा ने इस मंदिर में अपना सारा कुछ त्याग दिया क्योंकि वह भगवान विष्णु के परम भक्त थे।
केरल का पद्मनाभस्वामी मंदिर कैसे बना दुनिया का सबसे धनी मंदिर ??
इसका उदाहरण साल 2011 में देखने को मिला जब कोर्ट के आदेश से पद्मनाभस्वामी मंदिर के 7 तहखाने खोले गए। पहले तहखाने से हीरे जेवरात और कई अनमोल कीमती वस्तुएं मिली। जब दूसरे तहखाने को खोला गया उनमें भी लाखों-करोड़ों के हीरे और अनमोल वस्तुएं मिली। 1 से लेकर 6 तहखाने से मिली हुई कुल संपत्ति करीब एक लाख करोड़ रुपए का था। जब सातवें तहखाने की बारी आई तहखाने खोल रहे कर्मचारी जैसे ही सातवें तहखाने के प्रवेश द्वार पर गए। दरवाजे को देख उनके सर से पसीने आने लगे क्योंकि अभी तक सारे तहखाने सामान्य थे मगर सातवा तहखाना के दरवाजे पर एक सांप का चित्र बना हुआ था।

जिसे देख यह लग रहा था। यह सांप इस दरवाजे की पहरेदारी कर रहा हो। जब वहां के पंडितों से इसके बारे में पूछा गया तो उन लोगों ने भी इस दरवाजे को खोलने से मना किया क्योंकि वहां के पंडितों का यह मानना है सातवा तहखाना शापित है। इसके खुलते ही प्रलय आ जाएगा सातवें तहखाने के पीछे क्या है। यह तो खुलने के बाद ही हमें पता चल पाएगा लेकिन कुछ निजी रिपोर्ट के मुताबिक सातवें तहखाने में कुल 6 तहखाने से दोगुना खजाना है और अनेक प्रकार के हीरे जेवरात उसमें रखे हुए हैं।
सोनभद्र में मिला सोने का पहाड़ :-

क्या मैं आप से बोलूं कि एक सोने का पहाड़ हमारे भारत जैसे देश में है तो क्या?? आप यकीन करेंगे चलिए आज हम आपके सामने प्रमाण देकर इस बात की पुष्टि करेंगे।
हम बात करें उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के सोन पहाड़ी ब्लॉक क्षेत्र के हरदी गांव की हाल ही में मिले सोने के पहाड़ जिसकी चर्चे देश और विदेशों में छाए हुए हैं।
साल 2005 को जियोलॉजिकल की टीम ने यहां सोने के पहाड़ होने का दावा किया था पर लोगों को यह बात बिल्कुल काल्पनिक और झूठी लगी और सरकार ने भी इस बात में ज्यादा रुचि नहीं दिखाते हुए। सोनभद्र में सर्वे और खुदाई को बंद करने का मन बना लिया मगर सर्वे कर रहे जोलॉजिकल के टीम का मनोबल को देखकर कुछ समय के लिए इस सर्वे को जारी रखने का अनुमति दिया गया।
साल 2012 को जियोलॉजिकल की टीम ने वो कर दिखाया जिसकी कल्पना किसी को नहीं थी। साल 2012 को सोनभद्र में सोने का पहाड़ की खोज आखिरकार पूरी हो ही गई। 2012 से सोने की खोज तेज गति से चलने लगी 20 फरवरी 2020 को जियोलॉजिकल की टीम ने कुल 160 किलो सोना सोनभद्र के पहाड़ों से निकाल लिया। अनुमान लगाया जा रहा है कि अभी और 3000 किलो तक का सोना सोनभद्र के पहाड़ों में छुपा हुआ है।
भारत के 3 प्राचीन खजाने जिन की खबर अंग्रेजों को भी नहीं थी। Top 3 Lost Treasures of India In Hindi
सोनभद्र के पहाड़ों से सोना निकालना इतना भी आसान नहीं ??
सोनभद्र के पहाड़ों में अनेक-अनेक प्रकार के जीव जंतु रहते हैं। जिसमें से कुछ ऐसे भी प्रजाति के सांप है जो कि बहुत ज्यादा जहरीले हैं उनके काटने पर आदमी की मृत्यु लगभग तय है। जियोलॉजिकल की टीम अपना काम बहुत ही शांतिपूर्ण ढंग से कर रही है। किसी भी समस्या से निपटने के लिए उनके पास पर्याप्त साधन है। हम आशा कर सकते हैं कि 3000 किलो सोना जल्द से जल्द सोनभद्र के पहाड़ियों से निकाला जाए और इसे अपने देश की विकास करने में लगाया जाए।
मानसिंह का खजाना :-

मानसिंह एक कुशल योद्धा थे। उनके बहादुरी के चर्चे चारों और थे। यह देख अकबर ने मान सिंह को अपना सेनापति बनाया था। 1594 तक मानसिंह के पास बहुत सारे रियासते थी जिनमें से जयगढ़ का किला उनमें से एक था। अकबर के आदेश पर मानसिंह ने अफगानिस्तान के काबुल पर हमला बोल दिया। अफगानिस्तान की सेना को पराजित कर सेना के नेतृत्व कर रहे राजा को मौत के घाट उतारा और बीरबल की मौत का बदला लिया। उसके बाद अफगानीयो से मिले अनेक अशरफिया ,सोने की मुद्राएं और बेशकीमती नगीने मानसिंह अपने साथ भारत ले आए और उन्हें अपनी जयगढ़ वाले किले के नीचे कहीं छुपा दिया।
उस काल की एक अरबी पुस्तक में इस खजाने के बारे में लिखा हुआ है कि मान सिंह के पास इतना ज्यादा खजाना था कि कई रियासतों के लोग पूरी जिंदगी बैठ कर खा सकते थे। उस किताब में जयगढ़ किले के बारे में लिखी हुई है की जयगढ़ के किले के नीचे बने 7 पानी की टंकी जो विशालकाय थी उसमें छुपाए थे। काफी सालों तक लोगों को इस बात की खबर नहीं हुई।

साल 1976 में जब एमरजैंसी इंदिरा गांधी के द्वारा लगाई गई थी तब इंदिरा गांधी ने इस मौके का फायदा उठाकर जयगढ़ किले में अपनी एक सर्च टीम भेजी जिसमें से पुलिसकर्मी के साथ साथ कुछ जियोलॉजिकल की टीमें में भी थी। करीब 6 महीने सर्च चला और सरकार के द्वारा यह घोषणा कर दिया गया कि जयगढ़ किले में कोई खजाना नहीं मिला मगर जिस दिन यह सर्च खत्म हुई थी।
उस दिन जयपुर-दिल्ली के हाईवे वाले मार्ग आम लोगों के लिए बंद थे। कुछ लोगों की माने तो किले से 3 बड़े-बड़े ट्रक हाईवे के मार्ग से सीधा दिल्ली लाया गया और उस ट्रक में मानसिंह के सारे खजाने थे। जो उन्होंने अफगानीयो को हराकर अफगानिस्तान से से हासिल किए थे। इस बात से सरकार अपना पल्ला हमेशा झाड़ते हुई आई है।
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