हेलो दोस्तों मेरा नाम धनंजय है और आज मैं आपके सामने एक सच्ची घटना का विस्तार करने जा रहा हूं। बचपन से ही मुझे घूमने का शौक था। हर वक्त में घूमने के लिए तैयार रहता था चाहे वह स्कूल की पिकनिक हो या न्यू ईयर का ट्रिप जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया मेरी ख्वाहिश भी बढ़ती चली गई। लेकिन मुझे नहीं पता था मेरी यह ख्वाहिश इस हद तक मुझ पर काबू कर लेगा।
यह बात है साल 2015 की मैं और मेरे दो दोस्त एक लंबी ट्रिप का प्लान कर रहे थे। हम ऐसी ट्रिप का प्लान कर रहे थे जो एडवेंचर से भरी हो अगर लोकेशन हॉरर हो तो और भी अच्छी बात है तो हमलोगों ने मिलकर इंटरनेट पर बहुत सारी लोकेशन देखी। जिसमें से कुछ ब्यूटीफुल नेचर वाली थी तो कोई समंदर से घिरी हुई आईलैंड लेकिन एडवेंचर के साथ-साथ हॉरर वाली लोकेशन का कॉन्बिनेशन हमें कहीं नहीं मिल रहा था। एक-दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद और काफी रिसर्च करने के बाद हमें आओकगहारा फॉरेस्ट (Aokigahara Forest) जोकि एडवेंचर और हॉरर से भरी हुई थी इसके बारे में पता चला। यह जंगल जापान मैं माउंट फौजी के नॉर्थ वेस्ट में है।

यह जंगल 35sq किलोमीटर में फैली हुई है और यह जंगल इतना घना है कि सूरज की रोशनी भी जमीन तक नहीं आती और हर तरफ इसके अंदर पेड़ ही पेड़ किसी भी तरीके का कोई आवाज नहीं एकदम शांत। हम लोगों ने आओकगहारा फॉरेस्ट (Aokigahara Forest) की और भी अमेजिंग फैक्ट्स और हिस्ट्री को सर्च करके पढ़ने लगे।
इसके बाद जो हमें फैक्ट्स और रिसर्च से जो मिला उसने हमारे दिमाग घुमा कर रख दिया। हर साल इस जंगल से 100 से ज्यादा मरे हुए लोगों की बॉडीज मिलती है।

और यह रिपोर्ट 2003 की है। यहां मरने वालों कि संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि जापान की सरकार अब रिपोर्ट जारी ही नही करती 2003 से अब तक इसकी संख्या कितनी बढ़ गई होगी इसका अनुमान आप खुद ही लगा सकते हैं।

इसके बाद क्या था। मैं और मेरे दोनों दोस्त यहां जाने के लिए पूरे तरीके से उत्साहित हो गए कि आखिर इस जंगल में ऐसा है क्या ?? और यह जंगल इतना खतरनाक है तो एक बार इस जंगल में जाना तो बनता है।
और तारीख थी 22 मार्च 2015 की संडे का दिन था। हमने दिल्ली एयरपोर्ट से अपनी फ्लाइट पकड़ी और जापान की राजधानी टोक्यो के लिए रवाना हो गए। फ्लाइट के दौरान हम लोग सिर्फ आओकगहारा जंगल (Aokigahara Forest) के बारे में बातें कर रहे थे और हम इतना ज्यादा उत्साहित थे कि हम अपनी फिलिंग्स और इमोशन को रोक ही नहीं पा रहे थे। 30 घंटे के लंबे सफर तय करने के बाद आखिर हम टोक्यो की हानेडा एयरपोर्ट (haneda airport) पर पहुंच गए।
रात के करीब 9:00 बजे रहे थे और हम सब एक नए शहर में पहुंच चुके थे नए लोगों के बीच पहुंचने के तुरंत बाद हम लोगों ने वहां टैक्सी बुक की और होटल के लिए रवाना हो गए।

रास्तों के दौरान हमने टैक्सी ड्राइवर से बातें करना शुरू कर दिया। टैक्सी ड्राइवर को हिंदी तो समझ नहीं आती थी लेकिन वह हमारी इंग्लिश समझता था। मैंने टैक्सी ड्राइवर से बातों ही बातों में पूछा क्या आप आओकगहारा फॉरेस्ट (Aokigahara Forest) के बारे में कुछ जानते हो?? टैक्सी ड्राइवर ने बोला आपको क्यों जानना है उस जंगल के बारे में ?? हम लोगों ने मुस्कुरा कर कहा हम उसी जंगल में घूमने के लिए आए हुए हैं। वह पहले तो थोड़ा घबराया और फिर बोला आप लोग अभी यंग हो और आप लोगों की भी फैमिली होंगी उस जंगल में आप मत ही जाओ तो अच्छा है। यह सुनकर मैं हैरान हो गया और मेरे दोनों दोस्तों के चेहरे उदास हो गई
मैंने पूछा क्यों ?? टैक्सी ड्राइवर ने कहा वह जंगल शापित है और हर रोज वहां से एक या दो मरे हुए लोगों की डेड बॉडीज मिलती ही है और उस जंगल से अजीब अजीब से चिल्लाने की आवाजें भी आती है। इसके बाद हम टैक्सी ड्राइवर से कोई बातचीत नहीं की और सीधा उससे होटल में पहुंचाने को बोला।
फ्लाइट की लंबी यात्रा की वजह से मेरे एक दोस्त की तबीयत थोड़ी सी बिगड़ गई थी। 25 मिनट के बाद हम अपने होटल में पहुंच गए।

यह होटल हमने पहले ही बुक करके रख लिया था। होटल के रूम में पहुंचने के बाद हम सभी फ्रेश होने लगे फ्रेश और खाना खाते खाते रात के 11:00 बज चुके थे और हम लोगों को टैक्सी ड्राइवर की एक-एक बात याद आने लगी और हम दोबारा आओकगहारा जंगल (Aokigahara Forest) के बारे में सर्च करने लगे। धीरे-धीरे उस जंगल के बारे में और भी ज्यादा पता चलने लगा। सर्च करते-करते और पढ़ते-पढ़ते रात के 12:00 बजे चुके थे और मेरे दोनों दोस्तों को नींद आने लगी और कुछ देर बाद वह सो गए और मैं इतना ज्यादा उत्साहित था कि मुझे नींद ही नहीं आ रही थी और आओकगहारा जंगल (Aokigahara Forest) के बारे में बढ़ता चला गया। सुबह के करीबन 5:00 बज चुके थे और अब मुझे नींद आने लगी थी और मैं सो गया कुछ ही देर बाद मेरे एक दोस्त ने मुझे नींद से जगाया और बोला होटल से आओकगहारा जंगल (Aokigahara Forest) की दूरी 2 घंटे की है। हमें सुबह और जल्दी निकलना होगा और हम सभी 6:30 बजे तक तैयार होकर सारा सामान जो कि इस स्ट्रिप में यूज होगा एक बैग में भरकर चल पड़े।
एक टैक्सी ड्राइवर से हमने बात की उसने आओकगहारा जंगल (Aokigahara Forest) जाने से मना कर दिया। दूसरे और तीसरे से भी पूछा उन लोगों ने भी मना कर दिया और तब जाकर आखरी में हमने बस पकड़ी और माउंट फौजी के लिए रवाना हुए। माउंट फौजी से आओकगहारा जंगल (Aokigahara Forest) की दूरी 1 घंटे की है।
9:30 बजे तक हम माउंट फौजी पहुंच गए। वहां पहुंचने के बाद हमने आसपास के लोगों से आओकगहारा जंगल (Aokigahara Forest) जाने का रास्ता पूछा और कौन सी बस जाएगी या कार जाएगी। यह पता करने लगे और मेरे एक दोस्त पास के शॉप से कुछ खाने का सामान लेने चला गया और यह सब करते करते 10:30 बज गए। बस तो नहीं मिली एक कार हमने बुक कि और आओकगहारा जंगल (Aokigahara Forest) के लिए निकल पड़े। थोड़ी ट्रैफिक की वजह से 1 घंटे का सफर 2 घंटे का हो गया और हम 12:45 बजे तक वहां पहुंच गए। अब हम उस जंगल के गेट पर थे। जहां से हमारी जिंदगी की खतरनाक सफर की शुरुआत होने वाली थी। आज भी मुझे 12:45 बजे के समय को देखते ही उस जंगल की याद आ जाती है। काश मैं और मेरे दोस्त कभी उस जंगल में गए ही ना होते।
और यहां से शुरू होती है। हमारी जिंदगी की की खतरनाक सफर की शुरुआत।

वक्त 12:45 बजे का था। हम आओकगहारा जंगल (Aokigahara Forest) के मेन गेट पर थे। गेट पर एक साइन बोर्ड लगी हुई थी। उस साइन बोर्ड में कुछ जैपनीज में लिखा हुआ था क्योंकि हम लोगों को जैपनीज समझ नहीं आती थी तो हम लोगों ने उस साइन बोर्ड को नजरअंदाज किया और आगे चल दिए। कुछ रास्ते बने हुए थे। उसी रास्ते में हम आगे बढ़ने लगे कुछ दूरी तक जाने के बाद हमें एक और साइन बोर्ड देखने को मिला। वह साइन बोर्ड ब्राउन रंग की थी और उसमें भी जैपनीस में कुछ लिखा हुआ था। हम लोगों ने पिछले साइन बोर्ड की तरह इसे भी नजरअंदाज कर दिया और हम लोगों के चेहरे पर इतनी ज्यादा खुशी थी उस वक्त मैं उसकी सीमा नहीं बता सकता और हम लोग रास्ते को फॉलो कर के अंदर जाने लगे। करीबन 10 मिनट चलने के बाद ही गवर्नमेंट द्वारा बनाई गई रास्ते खत्म हो गई।
अब तो हमें समझ ही नहीं आ रहा था किस ओर से अपनी सफर की शुरुआत करें अब तो कोई रास्ता था ही नहीं हर तरफ जंगल ही नजर आ रही थी क्योंकि हम लोगों ने पहले ही इस जंगल के बारे में बहुत सारी चीजें जान रखी थी तो मैं और मेरे दोस्तों ने साथ में यह कसम खाई की कोई भी अकेले और बिना बोले कहीं नहीं जाएगा और हम लोग एक ही रास्ते में और एक साथ ही रहेंगे और हम लोगों ने एक रास्ता चुन लिया जो कि सीधा जंगल के अंदर जा रही थी और एक चीज जो मुझे हैरान कर रही थी। वह यह कि हर दिशा में अलग-अलग तरह के रिबन बंधे हुए थे और विभिन्न विभिन्न रंगों के जो कि हर दिशा में जा रहे थे तो मैं और मेरे दोस्तों ने पीला रिबन को चुना और उसको फॉलो करके चलने लगे जो कि सीधा जंगल की ओर जा रही थी और हम आपस में बात करते करते और रिबन को फॉलो करते करते करीबन डेढ़ किलोमीटर तक चले गए और यहां सूरज की रोशनी तो ना के बराबर आ रही थी और पीला रिबन भी खत्म होने को थी कुछ दूर और चलने के बाद हमारे आगे एक गहरी खाई थी और पीली रिबन भी बस यही तक थी। उससे यही उम्मीद लगाया गया कि हो सके जिसने यह रिबन बांधा हो उसने कोई और रास्ता लिया होगा।
अब तो ना हमारे पास कोई पीली रिबन थी और ना ही कोई रास्ता तो हम लोगों ने वहां से लेफ्ट लेने का फैसला किया और हम साथ साथ लेफ्ट की ओर जाने लगे हम लोगों के पास अपना कोई रिबन नहीं था तो हम लोगों ने छोटे-छोटे पेड़ों की डालियों को तोड़कर निशानी बनाने लगे इससे हमें वापस लौटने में आसानी होगी। करीबन आधे घंटे चलने के बाद हम थोड़े थक चुके थे और बैठकर आराम करने लगे और पानी और कुछ खाना जो हम साथ लेकर आए थे। वह खाने लगे। अभी तक तो जंगल सामान्य लग रही थी। इतने में मेरे एक दोस्त के हाथों से भरा हुआ पानी का बोतल जमीन पर गिर गया। जिसकी वजह से बोतल और पानी गिरते-गिरते हमसे कुछ दूरी पर चले गए। अभी तो हमने सफर शुरुआत ही किया था कि हमने पीने का पानी बर्बाद कर दिया। अब हमारे पास पीने के लिए भी पानी नहीं था। पानी का बोतल उठाने के लिए मेरा एक दोस्त जैसे ही गया की अचानक मेरे दोस्त को कुछ दूरी पर एक कैंप नजर आई और हम लोग को आश्चर्य हुआ और साथ ही साथ खुशी इस बात की थी कि चलो हमारे अलावा कोई और भी तो हमारे रास्ते पर है और हम लोग उस कैंप की ओर जाने लगे और हमें जहां तक उम्मीद लग रही थी। जिसने पीली रिबन बांधी जिसके सहारे हम आधे रास्ते आए वही हो उस कैंप में।

जैसे ही हम उस कैंप के पास पहुंचे। कैंप के अंदर जाकर देखा तो कैंप के अंदर कोई नहीं था। आश्चर्य करने वाली बात यह थी कि सारा सामान कैंप के अंदर ही था। जैसे Sleeping bag, खाना बनाने का gas Stove,Shoes,Cloths और Travelling bag यहां तक कि मोबाइल चार्ज करने का पावर बैंक भी कैंप के अंदर ही था। मगर जिसकी खोज में हम आए थे “पानी” वह कहीं नहीं था। पहले तो हमें लगा हो सके कैंप लगाकर वह आस-पास ही गया होगा पानी की तलाश में। तो हमने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। यहां कोई है(is someone here) पर कोई जवाब नहीं आया। मैं और मेरे दोनों दोस्त लगातार 15 मिनट तक चलाते रहें मगर कोई जवाब नहीं आया और हम उसके लौटने का का इंतजार करने लगे। इंतजार करते-करते 2:00 से 3:00 बज चुके थे। अब हम लोगों को उसका इंतजार करना उचित नहीं लगा और हम लोग पानी की तलाश में जाने के बारे में सोचने लगे। लेकिन हर तरफ पेड़ ही पेड़ था। इतना घना जंगल था कि हमें आगे कुछ दिख ही नहीं रहा था। दोपहर का वक्त था सूरज सर के ऊपर था फिर भी यहां अंधेरा अंधेरा लग रहा था। किस और जाएं समझ नहीं आ रहा तभी मेरे एक दोस्त ने झाड़ियों की ओर इशारा किया। वहां जाकर देखा तो जूते चप्पल फेंके हुए थे।

झाड़ियों को देखकर यह लग रहा था कि हो सके वह उसी दिशा में गया हो और हम लोग भी उसी दिशा की ओर आगे बढ़ने लगे और साथ ही साथ लगातार आवाज लगाते रहे यहां कोई है(is someone here) चलते चलते करीब 3km आगे चले गए मगर अभी भी हमें कोई इंसान देखने को नहीं मिला। लगातार चलने और पानी की कमी की वजह से मेरे एक दोस्त की तबीयत और भी ज्यादा बिगड़ने लगी। तो हम वहीं रुक कर आराम करने लगे तभी हमें चट्टानों के पीछे से कुछ आवाज सुनाई दी। हम लोगों ने उस आवाज को नजरअंदाज कर दिया। लेकिन वह आवाज लगातार आ ही रही थी और बंद होने का नाम नहीं ले रही थी। हम लोगों ने हिम्मत दिखाई और आवाज की और गए। जैसे ही चट्टान के आगे देखा हमलोगों के चेहरे खुशी से खिल उठे।
एक छोटा सा नदी का झरना पेड़ों के बीच से पत्थरों से टकराकर नीचे की ओर जा रहा था।

लगातार चलने की वजह से हम लोग पसीने से भीग चुके थे। सबसे पहले तो हमने बोतल में पीने के लिए पानी को भरा उसके बाद हम अपने चेहरे,हाथ और पैरों को धोने लगे। पानी से अपने चेहरे को धोने में हमें काफी आनंद मिला रहा था। यह सब करते-करते शाम के 5:00 बज चुके थे। अब हम लोगों ने निर्णय लिया कि आज के लिए यह ट्रिप काफी है अब हमें वापस लौटना चाहिए। हमारे हाथों में पानी की बोतले थी और चेहरे पर थोड़ी सी खुशी और जिस दिशा से हम आए थे उसी दिशा की और हम निकल पड़े अब अंधेरा कुछ ज्यादा ही हो गया था। आगे का रास्ता साफ देखना बहुत मुश्किल था तो हम लोगों ने अपनी मोबाइल की फ्लैश लाइट जला ली और उस दिशा की ओर बढ़ने लगे जिस और से हम आए थे।
रात के अंधेरे में चलना बहुत ही मुश्किल था लेकिन जैसे तैसे हम लोगों ने लगभग 3 किलोमीटर का सफर तय किया। हम इधर-उधर देखने लगे लेकिन हमें वह कैंप नजर नहीं आया जिस कैंप की ओर से हम पानी की तलाश में गए थे। अब रात के 8:00 बज चुके थे हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा हम पूरी तरीके से परेशान हो चुके थे और साथ ही साथ डरे हुए इस बात से थे। कही हम रास्ता भटक तो नहीं गए?? कहीं लौटते वक्त हमने गलत रास्ता तो नहीं चुन लिया?? काफी सारी विचार हमारे दिमाग में आने लग गए थे। इतने में मेरे एक दोस्त की तबीयत उम्मीद से ज्यादा खराब होने लग गई। रात के अंधेरे में हमें कैंप तो कहीं दिख नहीं रहा था और ना ही रास्ता इसलिए हम लोगों ने मदद के लिए आवाज लगाना शुरू कर दिया। कोई मेरी आवाज सुन रहा है ??(hello anyone can hear me) कृपया मेरी मदद करो (please help us) मगर हकीकत तो यह थी कि हमारे अलावा इस सुनसान जंगल में और कोई नहीं था और यह हकीकत हम जितनी जल्दी समझ लेते हमारे लिए उतनी ही आसानी होती मगर मेरे एक दोस्त की तबीयत को देखकर मैं बहुत ज्यादा घबरा गया और जोर जोर से मदद के लिए आवाज लगाता रहा। अब हमें यहां से एक निर्णय लेना था। किस दिशा से वापस जाएं क्योंकि अब यहां से भटक गए तो अब हम जंगल में ही फंस जाएंगे तो बेहतर हम लोग के लिए यही था कि जिस दिशा से हम आए थे। उसी दिशा से हम पीछे की ओर जाएं मोबाइल की फ्लैश लाइट की मदद से हम पीछे की ओर जाने लगे। कुछ ही दूर पीछे चलने के बाद अब मेरे दोस्त की तबीयत इतनी ज्यादा खराब हो गई थी कि वह चलते-चलते गिर गया। हम दोनों ने उसे उठाया और उसे हौसला दिया हम यहां से बाहर जाने का रास्ता ढूंढ लेंगे। हम दोनों ने अपने कंधे का सहारा दिया और उसे पीछे की ओर ले जाने लगे तभी मेरे पैरों के नीचे कुछ आई और मैं डर गया जब मोबाइल की फ्लैशलाइट झाड़ियों की और की तो मैं देख कर खुश हो गया क्योंकि मेरे पैरों के नीचे वही जूते चप्पल थे जो हमें कैंप से जाते वक्त मिले थे और हम झाड़ियों के अंदर गए तो हमें आखिर में वह कैप मिल गई और हम अपने तबीयत खराब दोस्त को लेकर उस कैंप में गए हमें उम्मीद था शायद इस कैंप में अब कोई मिलेगा मगर जैसे ही हम कैंप के अंदर गए।
कंकालों से भरा हुआ एक जंगल जहां रहती है सिर्फ आतमाये | Aokigahara Forest Ghost Story In Hindi

कैंप के अंदर कोई नहीं था और कैंप का सामान जैसे का वैसा रखा हुआ था। हमने अपने तबीयत खराब दोस्त को उसी कैंप मैं लेटा दिया और उसे पानी और कुछ खाना खिलाने लगे। अब रात के 9:00 बज चुके थे।
यहां से हमें एक मुश्किल फैसले लेना था क्योंकि जब से हम इस जंगल में आए थे। हम लोग एक साथ ही थे। जहां भी गए एक साथ गए। हर एक परेशानी का हमने साथ में सामना किया लेकिन यहां से हमें अलग होना था क्योंकि हमारे एक दोस्त की तबीयत इतनी ज्यादा खराब थी कि वह एक कदम भी अब नहीं चल सकता था और इस काले अंधेरी रात में हमारी मदद करने भी कोई बाहर से अंदर नहीं आएगा। हमारे मोबाइल की नेटवर्क भी नहीं थी। इसका मतलब साफ था कि हम किसी को बता भी नहीं सकते थे कि हम यहां फंसे हुए हैं और जब हम इस जंगल में आ रहे थे तब हमें किसी ने देखा भी नहीं था चारों तरफ से हम इस जंगल में फस चुके थे।
हम लोगों ने ज्यादा समय बर्बाद नहीं किया और निर्णय लिया कि हम दोनों में से कोई एक मदद लाने के लिए बाहर जाएगा और एक यहां रुककर तबीयत खराब दोस्त को देखेगा और उसकी मदद करेगा। अचानक मेरे अंदर से यह आवाज आई कि मैं लेकर आऊंगा मदद। यह सुनकर मेरे दोनों दोस्त चौक गए उन्होंने कहा पागल मत बनो हम लोगों ने पढ़ा है इस जंगल के बारे में यह जंगल जितना दिन के उजाले में अच्छा रहता है उतनी रात के अंधेरे में यह खौफनाक हो जाता है इसके बारे में हम लोगों ने साथ में पढ़ा था फिर भी तुम यह पागलों वाले फैसले कैसे ले सकते हो। हमारे बीच काफी बहस हुई लेकिन किसी को तो बाहर जाना था ना मदद लेने के लिए क्योंकि हमारे दोस्त की तबीयत बहुत ज्यादा खराब थी। मैं उसे इस हालात में देख भी नहीं सकते था। कहीं ना कहीं मेरी वजह से मेरे दोनों दोस्त इस जंगल में आए थे और उनकी यह दशा हो गई। यह देखकर मैं अंदर से काफी दुख था मैंने फैसला लिया कि मदद लाने के लिए मैं ही बाहर जाऊंगा। जब उनके काफी समझाने के बाद भी मैं नहीं समझा तो उन लोगों ने मेरे अकेले बाहर जाने के ऊपर हामी भरी उन्होंने बहुत सारे चीजें समझाइए और साथ में मुझे याद भी करवाया किस रास्ते से हम यहां तक आए थे। मेरे पास यह एक आखरी मौका था मुझे किसी भी हालात में इस जंगल से बाहर जाकर अपने दोस्त के लिए मदद लाना था। मैं कोई भी गलती नहीं करना चाहता था और ना ही रास्ता भटकना चाहता था इसलिए मैंने एक छोटे से कागज पर नक्शा बना लिया। जिस रास्ते से हम इस जंगल में आए थे और हर वह चीज जो हमने आते वक्त निशानी के तौर पर की थी इस जंगल में सारा कुछ हमने कागज पर लिख लिया यह सब करते करते रात के 9:30 बज चुके थे। अब मैं पूरी तरीके से तैयार हो चुका था।
कैंप से निकलते ही भागकर सबसे पहले मैं वहां गया जहां से मैंने कैंप को पहली बार देखा था। जैसे मैं उस जगह पर गया मुझे विश्वास हो गया मैं सही जगह पर हूं क्योंकि मैं और मेरे दोस्तों ने यही आराम किया था और कुछ खाना भी खाया था खाने का पैकेट अभी भी वही था। खाने का पैकेट मेरे लिए एक निशानी बनकर सामने आया। अब यहां से बाहर का रास्ता बहुत ही सरल था यहां से सीधा उसके बाद आगे से दाएं मैं मोबाइल की फ्लैश लाइट अपने हाथों में लेकर तेज गति से सीधी दिशा में भागने लगा और जो झाड़ की टहनियां मैं और मेरे दोस्तों ने तोड़ी थी वह भी रास्ता दिखाने में मेरी मदद कर रहा था कि अचानक मेरा एक पैर पेड़ों की जड़ों से टकराई और मैं लुरकता हुआ एक खड्डे में जा गिरा। मेरे सर पर बहुत गहरी चोट आई लेकिन मैंने अपने दर्द को दरकिनार किया। मैंने अपनी आंखें खोली मेरा मोबाइल मुझसे 10 कदम की दूरी पर गिरा हुआ था अभी भी उसमें से फ्लैश लाइट जल रही थी। यह देखकर मैं खुश हो गया मैंने अपने आप को संभाला और जाकर अपने मोबाइल को उठाया मोबाइल का स्क्रीन टूट चुका था और स्क्रीन काम करना भी बंद कर दिया था मगर फ्लैश लाइट अभी भी जल रही थी। मोबाइल की फ्लैश लाइट्स की मदद से मैं वहां से निकलने का रास्ता ढूंढने लगा। यह देखकर मैं चौक गया जिस खड्डे में मैं गिरा था चारों तरफ से गोल और उसकी ऊंचाई लगभग 2 मंजिला घर इतना थी और मैं अब उसके अंदर गिर चुका था और अंधेरा इतना कि एक कदम भी बिना फ्लैशलाइट के मैं चल ना पाऊं चारों और से उस खड्डे को लतरो ने जकड़ कर रखा हुआ था।
मैं वहां से बाहर जाने का रास्ता देख ही रहा था कि अचानक मेरी नजर एक सुरंग पर पड़ी सुरंग का रास्ता पूरी लतरो से ढका हुआ था सुरंग देखने से काफी सालों पुराना लग रहा था। लतरो को मैंने हटाया और सुरंग के अंदर गया

घुसते ही बहुत ही घटिया बदबू आई मैं फिर भी आगे बढ़ा वह जगह कीचड़ से भरी हुई थी कीचड़ मेरे घुटने तक आ रही थी लेकिन मेरे पास दूसरा और कोई रास्ता नहीं था तो मुझे आगे बढ़ते रहना था। मेरा पूरा ध्यान नीचे की ओर था तभी मेरा सर किसी चीज से टकराया जब मैंने फ्लैशलाइट ऊपर की और कि मेरे होश उड़ गए। एक मरे हुए व्यक्ति की डेड बॉडी लटकी हुई थी। मैं जोर से चिल्लाया और वापस की और भागने लगा और यह देख मेरा ह्रदय बहुत तेज गति से चलने लग गया। मैं उस सुरंग से भागता गया जब तक कि मैं सुरंग से बाहर ना निकल जाऊं। जैसे ही सुरंग से मैं बाहर आया मैं और जोर जोर से चिल्लाने लग गया और मदद मांगने लगा मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा था ऐसा लग रहा था जैसे आज यह मेरी आखिरी रात है। मैंने अपने डर को संभाला और उस खड्डे से बाहर जाने के मार्ग के बारे में सोचने लग गया। खड्डे से बाहर निकलना लगभग असंभव था दो मंजिलें एक गहरे खड्डे में गिरा था बिना किसी सहायता के ऊपर चढ़ना नामुमकिन था। मेरे पास दूसरा कोई और रास्ता नहीं था और मेरे दोनों दोस्त अभी भी उसी कैंप में फंसे हुए थे और मेरा इंतजार कर रहे थे कि मैं उनके लिए मदद लेकर आऊंगा। बस इतना सोचते ही मेरे अंदर एक आत्मविश्वास आई और दोबारा में सुरंग में जाने के लिए तैयार हुआ।
सुरंग के लतरो को मैंने हटाया और अंदर गया अब मैं पहले से ज्यादा चौकन्ना था और हर जगह देख रहा था मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ता चला गया। अब मेरे आगे मरे हुए व्यक्ति की डेड बॉडीज थी सुरंग के छत पर बनी हुई लोहे की हुक के सहारे कपड़े से लटका हुआ था। उसकी बॉडी पूरी गल चुकी थी वह इतना ज्यादा गंद दे रहा था कि मुझे अपनी सांसे रोकनी पड़ी मैं वहां से आगे बढ़ा और उस सुरंग से बाहर जाने का रास्ता ढूंढने लगा। कुछ देर चलते ही मुझे आगे का रास्ता बंद दिखा पहले तो मैं परेशान हुआ जब सामने जाकर देखा तो बाहर जाने के मार्ग पर भी वैसे ही लतर थे जैसे कि इस सुरंग के प्रवेश करते वक्त मुझे मिले थे लतरो ने हीं रास्ते को बंद कर रखा था। लतरो को हटाया और उस खड्डे और सुरंग से बाहर निकल गया।

मैंने लंबी और गहरी सांस भरी और ऊपर वाले का शुक्रिया किया। मैंने मोबाइल की और देखा मोबाइल का स्क्रीन काम नहीं कर रहा था लेकिन उसके अंदर समय अभी भी चल रहा था अब रात के 10:30 बज चुके थे।
सुरंग से बाहर तो मैं निकल चुका था मगर मेरे आगे सिर्फ समस्या ही समस्या नजर आ रही थी क्योंकि मैं रास्ता पूरी तरीके से भटक चुका था। यह सुरंग मुझे किस और लेकर आ चुकी थी मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था जो नक्शा कागज पर मैं बनाकर अपने साथ लेकर आया था उसका अब कोई मतलब नहीं था क्योंकि मेरे आगे नई रास्ते थे चारों और काला अंधेरा और सिर्फ पेड़ ही पेड़ करीब 10 मिनट तक यह मैं सोचता रह गया किसी और से जाऊं ?? कौन सा रास्ता बाहर की ओर जाएगा ?? फिर अंत में मैंने वही किया जो अब तक मैं करता आया हूं। सब ऊपर वाले पर छोड़ दिया और सीधा रास्ता चुन लिया और तेज गति से आगे बढ़ता गया सिर पर गहरी चोट की वजह से सर से खून लगातार निकल रहा था और मुझे चलने में काफी ज्यादा परेशानी हो रही थी तो मैं एक पेड़ के नीचे बैठ गया।
कुछ देर बैठने के बाद मुझे कुछ दूर पर एक टॉर्च की लाइट दिखी।

मेरे खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा और तुरंत खड़ा हुआ और अपनी पूरी क्षमता से चिल्लाया। कृपया मेरी मदद करो (please help me) जब उधर से कोई उत्तर नहीं आया तो मैं उस टॉर्च की लाइट की और तेज गति से भागा लगातार उसके पीछे भागने के बावजूद भी वह मुझसे कुछ दूरी पर अभी भी था जैसे जैसे मैं उसकी ओर जा रहा था वह मुझसे उतनी ही दूर वह चला जा रहा था। मैंने दोबारा आवाज लगाई कृपया मेरी मदद करो (please help me) अब मैं भागते भागते थक चुका था। मैं अपने दोनों घुटने के बल जमीन पर बैठ गया और रोने लगा कृपया मेरी मदद करो (please help me) कोई तो हमारी मदद करो (someone help us)
तभी अचानक से मेरे कंधे पर किसी ने पीछे से हाथ रखा जैसे ही मुड़कर मैंने देखा मेरे दोनों दोस्त थे। उन लोगों ने मुझे उठाया और कहा हम इस जंगल से जरूर बाहर निकल जाएंगे हम दोनों ने रास्ता ढूंढ लिया है। उस दिशा से बाहर जाने का रास्ता है। मैं इतना ज्यादा यह सुनकर खुश हुआ कि मैंने दोनों को अपने गले से लगाया और कहा जल्दी चलो इस जंगल में मुझे 1 मिनट भी अब और नहीं रहना है। हम लोग पागल थे जो इस जंगल में आए जल्दी चलो करीब 15 मिनट चलने के बाद हम उसी साइन बोर्ड के पास थे जो मेन गेट पर लगी थी और हम उस गेट को पीछे छोड़ जंगल से बाहर निकल गए और मैं जोरों से चिल्लाने लगा हम निकाल आएं!! हम निकल आए!! तभी मेरे सर में बहुत तेज दर्द हुई। जब मेरी आंखें खुली तो मेरे हाथों में मोबाइल था और उसकी फ्लैश लाइट जल रही थी यह देख मैं चौक गया क्योंकि मैं अभी भी उसी पेड़ के नीचे बैठा हुआ था और यह मेरे दिमाग का एक भ्रम था मैं चारों और देखने लगा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की मेरे साथ यह हो क्या रहा है। मैंने अपने दोस्तों को आवाज लगाई मगर मेरी आवाज सुनने वाला वहां कोई नहीं था।
मैंने मोबाइल की ओर देखा समय रात के 1:45 बज रहे थे और अभी भी मेरे सर से लगातार खून निकल ही रहा था। इसका मतलब साफ था सर की गहरी चोट की वजह से मैं बेहोश हो गया था और 3 घंटे से मैं इसी पेड़ के नीचे बैठा था। लगातार फ्लैश लाइट जलने की वजह से अब मेरे मोबाइल की बैटरी 5% हो चुकी थी। जैसे-जैसे मोबाइल की बैटरी कम हो रही थी वैसे वैसे डर और बढ़ता जा रहा था और मैं दिमागी रूप से बहुत परेशान हो चुका था। मुझे उस सुरंग में मरे हुए व्यक्ति की लाश अब हर जगह दिख रही थी।

अजीब अजीब सी आवाज भी सुनाई दे रही थी कि अचानक मेरे मोबाइल ने मेरा साथ छोड़ दिया। अब चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा था डर की अब कोई सीमा नहीं थी ऐसा लग रहा था जैसे की मैं आज मर जाऊंगा एक तरफ मैं था जो अपना सब कुछ इस जंगल में खो चुका था दोस्त,रास्ता,जीने की आस और एक तरफ यह जंगल था जो अभी भी मुझसे बहुत सी चीजें चाहता था काफी ज्यादा सर से खून बहने की वजह से मैं अंदर से बहुत ज्यादा कमजोर हो चुका था। मैंने अपनी जीने की इच्छा तो छोड़ी ही दी थी की दोस्तों की मदद के लिए एक अंतिम कोशिश करनी चाहिए। जैसे तैसे मैं पेड़ के सहारे खड़ा हुआ अंधेरे की वजह से मैं कहां जा रहा था कोई पता नहीं किस ओर जा रहा था कोई पता नहीं बस एक ही चीज मेरे दिमाग में था मुझे अपने दोस्तों की मदद करना है। करीब 30 मिनट चलने के बाद मुझे चक्कर आने लग गया और मैं जमीन पर गिर गया।
मेरे अगल बगल बहुत शोर हो रहा था। मैंने अपनी आंखें खोली थोड़ी-थोड़ी से उजाले दिख रहे थे लगभग सुबह हो चुकी थी 3-4 जापानी लोग दिख रहे थे मेरी आंखें फिर बंद हो गई। जब मेरी आंखें खुली मैं कमरे में था वहां कोई नहीं था। मैं चिल्लाने लगा यह सच नहीं है!! यह सच नहीं है!! यह मेरे दिमाग का एक भ्रम है। यह सच नहीं है!! तभी 2 डॉक्टर एक नर्स मेरी और भाग कर आई उन लोगों ने मुझे संभाला पहले तो वह लोग जापानी में बात कर रहे थे जब मुझे कुछ समझ नहीं आया तब उन लोगों ने मुझसे इंग्लिश में बातें की और बोला तुम ठीक हो (you are fine) ,Relax मेरा सर अभी भी दुख रहा था। हाथों से मैंने अपने सर को छुआ सर पर पट्टी बंधी हुई थी तो मुझे यकीन हो चुका था मैं उस जंगल से बाहर निकल आया हूं। मैंने पूछा मेरे दोस्त कहां है उन्होंने बोला कौन दोस्त?? मैंने कहा वही जो मेरे साथ जंगल में गए थे उन लोगों को आश्चर्य हुआ यह सुनकर उन्होंने कहा मुझे वहां कोई नहीं मिला मैं घबरा गया कहां मुझे उनकी मदद के लिए जाना है डॉक्टर ने 2 forest officer को बुलाया और मुझे उन लोगों के साथ अपने दोस्त को ढूंढने के लिए भेजा मैंने forest officer को बताया मेरे दोस्त मेरा इंतजार कैंप में कर रहे हैं और ऑफिसर को मैंने वह रास्ते बताया जिस रास्ते से मैं और मेरे दोस्त जंगल में उस कैंप तक पहुंचे थे ।
मैं दोबारा आओकगहारा जंगल (Aokigahara Forest) के मेन गेट पर था साइन बोर्ड लगी हुई थी। इस बार मैंने forest officer से उस साइन बोर्ड के बारे में पूछा उन्होंने बताया यह साइन बोर्ड नहीं चेतावनी बोर्ड है। इसमें लिखा है अगर कोई इस जंगल में सुसाइड करने के मकसद से आ रहा है तो सुसाइड ना करें किसी से मदद लें। अब मैं forest officer को वह पीली रिबन दिखाया जिसकी मदद से हम जंगल के अंदर गए थे और हमें वह कैंप मिली थी अब forest officer अच्छे से समझ चुके थे किस कैंप के बारे में मैं बात कर रहा था। कुछ देर बाद जैसे ही मैं और forest officer उस कैंप में पहुंचे मैं भागकर कैंप के अंदर गया मगर कैंप के अंदर कोई नहीं था। मेरे दोस्तों का सारा सामान कैंप के अंदर ही था। मैं आसपास देखने लग गया और अपने दोस्तों का नाम जोर-जोर से पुकारने लगा। एक ऑफिसर मेरे पास ही था उसने कहीं भी अकेले जाने से मुझे मना किया जबकि दूसरा थोड़ी दूर पर जाकर देख रहा था। उसके चिल्लाने की आवाज जोर से आई वह मुझे अपनी और बुला रहा था मैं और ऑफिसर उसकी और भागकर गए। वहां जाकर देखा वह मेरी जिंदगी की सबसे दर्दनाक दृश्य था। मेरे दोनों दोस्तों की बॉडी एक पेड़ से लटकी हुई थी। यह देखना मेरे लिए दर्दनाक था और मेरे आंखों से आंसू रुक नहीं रही थी लगातार आंसू बह रही थी और एक ही बात मेरे अंदर खाए जा रही थी कि इनके घर वालों से मैं अब क्या कहूंगा वे लोग तो जानते हैं हम तो बस यहां घूमने के लिए आए है हमें नहीं पता था कि हमारे साथ ऐसा हो जाएगा। इस घटना के बाद मैं अंदर से काफी टूट चुका था। इस घटना को अब 6 साल हो चुके हैं इसके बाद मैंने कभी भी कोई ट्रिप प्लान नहीं की और ना ही कहीं गया जब भी मुझे मौका मिलता मैं अपने दोस्त के घर चला जाता हूं उनके घर वालों से बातें करता हूं उनको संभालता हूं
एक प्रश्न जो आज भी रहस्य बन कर मेरे सामने आ जाता है क्या हुआ था मेरे दोस्तों के साथ ??? और काश में और मेरे दोस्त कभी उस जंगल में गए ही ना होते!!!
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